Business Accounting Terminology in Hindi (व्यापारिक लेखांकन की शब्दावली) – किसी भी व्यवसाय को सुचारु रूप से चलाने के लिए व्यापार में होने वाली सभी गतिविधियों को लिखना ही लेखांकन कहलाता है. किन्तु व्यापार (Business) में लेखांकन (Accounting) के लिए विशिष्ट शब्दों (Terminology) का उपयोग किया जाता है. इसे व्यवसायिक भाषा भी कहा जाता है जिनका विवरण नीचे दिया गया है.
व्यापारिक लेखांकन की शब्दावली
Business (व्यवसाय) – सामान्यत व्यवसाय का अर्थ उन सभी मानवीय क्रियाओं से है. जिनका उपयोग धनार्जन के लिए किया जाता है. अर्थात ऐसा कोई भी वैधानिक कार्य जिसका उद्देश्य लाभ या आय अर्जित करना हो व्यवसाय कहलाता है व्यवसाय एक बहुत व्यापक शब्द है. जिसमे वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन , क्रय , विक्रय , विनिर्माण आदि आर्थिक कार्य किया जाता है. जिसके परिणामों को मुद्रा (Currency) में मापा जा सके.
Trade (व्यापार) – लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया कार्य अर्थात् वस्तुओं व सेवाओं को खरीदना और बेचना व्यापार कहलाता है. ये दो प्रकार का होता है.
1. Home Trade (घरेलु व्यापार) – ऐसा व्यापार जो एक देश की सीमा के अन्दर होता हैं. इसे आन्तरिक व्यापार (Internal Trade) भी कहते है.
2. Foreign trade (विदेशी व्यापार) – ऐसा व्यापार जो एक देश की सीमा के बाहर होता हैं. अर्थात् दो देशो के बीच में किया जाता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) भी कहते है.
Profession (पेशा) – आय अर्जित करने के उद्देश्य से किया गया कार्य जिसके लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है. अर्थात सेवा प्रदान करके अर्जित की जाने वाली आय पेशा कहलाती है. जैसे – अध्यापक , डॉक्टर , सी.ए आदि द्वारा दी गयी सलाह या प्रशिक्षण.
Business Accounting Terminology in Hindi
Business Transaction (व्यावसायिक लेनदेन) – कोई भी व्यावसायिक क्रियाएं या घटना जिसके परिणामों को मुद्रा में रूप में मापा जाता है. अर्थात दो पक्षों के मध्य होने वाले वस्तुओ और सेवाओं के विनिमय को व्यावसायिक लेनदेन या सौदा कहलाता है.
Note – व्यवसाय में लेनदेन दो प्रकार से किया जाता है. नकद और उधार
- नकद लेनदेन – जब किसी भी लेनदेन का भुगतान उसी समय नकद या बैंक के माध्यम से कर दिया जाता है. तो उसे नकद सौदा कहा जाता है.
- उधार लेनदेन – जब किसी लेनदेन का भुगतान उसी समय न करके कुछ समय बाद किया जाता है. उसे उधार या साख कहा जाता है.

Proprietor (मालिक) – व्यवसाय को प्रारम्भ करने वाला व्यक्ति जो व्यापार चलाने के लिए आवश्यक संसाधन जुटाता हैं. और लाभ प्राप्त करने का अधिकारी व नुकसान का जोखिम वहन करता है. जैसे:- पूंजी , मशीन , भुमि , कम्प्यूटर आदि
Capital (पूंजी) – व्यापार के मालिक द्वारा व्यवसाय को शुरू करने के लिए लगाये गये नकद , भूमि या अन्य संसाधन पूंजी कहलाती हैं.
Drawing (आहरण) – व्यापार के मालिक द्वारा स्वयं के लिए निकाली गई नकद राशि या माल आहरण कहलाता है.
Goods (माल) – ऐसी वस्तुएं जो खरीदी व बेची जाती हैं। माल कहलाता हैं
व्यापारिक लेखांकन की शब्दावली
Debtor (देनदार) – उधार बेचे गये माल को ले जाने वाला व्यक्ति देनदार कहलाता हैं.
Creditor (लेनदार) – उधार खरीदे गये माल को लाने वाला व्यक्ति लेनदार कहलाता हैं.
Purchase (क्रय) – बेचने या तैयार करने के उद्देश्य से खरीदा गया माल क्रय कहलाता हैं.
Purchase Return (क्रय वापसी) – खरीदे गये माल को वापस व्यापारी को लौटा देना क्रय वापसी कहलाता है. इसे Outward Return भी कहा जाता है.
Sales (विक्रय) – खरीदे या तैयार किये गये माल को बेचना विक्रय कहलाता हैं.
Sales Return (विक्रय वापसी) – बेचे गये माल का ग्राहक से वापस आना विक्रय वापसी कहलाता है. इसे Inward Return भी कहा जाता है.
Bad Debts (डुबत ऋण) – उधार बेचे गये माल की राशि का भुगतान प्राप्त न हो पाना डुबत ऋण कहलाता हैं.
Bad Debts Recover (डुबत ऋण वापसी) – डुब चुकी राशि का पुनः मिल जाना डुबत ऋण वापसी कहलाता हैं.
Business Accounting Terminology in Hindi
Assets (सम्पतियाँ) – ऐसी वस्तुएं जो व्यापार के संचालन के लिए खरीदी जाती हैं. सम्पतियॉ कहलाती हैं. ये दो प्रकार की होती है
1. Fixed Assets (स्थायी सम्पतियॉ) – ऐसी सम्पतियॉ जो लम्बे समय तक प्रयोग लेने के लिए खरीदी जाती हैं. जैसे:- भवन ,मशीन ,फर्नीचर ,ख्याति आदि.
2. Current Assets (चालू सम्पतियॉ) – ऐसी सम्पतियॉ जो कम समय के लिए खरीदी जाती हैं. अर्थात जो समय के अनुसार बदल जाती है जैसे:- बैक बैलेंस , स्टॉक , देनदार , नकद आदि.
Liabilities (दायित्व) – किसी दुसरे व्यक्ति से ली गई उधार राशि या माल जिसको चुकाना हो दायित्व कहलाता हैं. ये भी दो प्रकार का होता है.
1. Long Term Liabilities (दीर्घकालीन दायित्व) – कुछ दायित्व ऐसे होते है जिनका भुगतान लम्बे समय के पश्चात् ( सामान्यतः एक वर्ष के बाद ) करना हो. जैसे- दीर्घकालीन ऋण , पूँजी , ऋणपत्र आदि.
2. Short Term Liabilities (अल्पकालीन दायित्व) – ऐसे दायित्व जिनका भुगतान एक वर्ष में करना होता है. जैसे लेनदार , देय विपत्र , बैंक ऋण , बैंक अधिविकर्ष या अन्य अल्पकालीन ऋण.
Financial Year (वितीय वर्ष) – एक वर्ष एक समय जिसमे सभी खातों के रख रखाव किया जाता है वितीय वर्ष कहलाता हैं. भारत में वितीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता हैं.
Stock (रहतिया) – व्यापार में बचा हुआ माल रहतिया कहलाता हैं.
1. Opening Stock (प्रारम्भिक रहतिया) – वितीय वर्ष के प्रारम्भ में बचे हुए माल को प्रारम्भिक रहतिया कहते है.
2. Closing Stock (अन्तिम रहतिया) – वितीय वर्ष के अन्त में बचा हुआ माल को अन्तिम रहतिया कहते है.
Business Accounting Terminology in Hindi
Discount (बट्टा) – व्यापारी द्वारा अपने ग्राहकों को माल के मूल्यों में कि गई कटौती बट्टा या छुट कहलाती हैं.
1. Trade Discount (व्यापारिक छुट) – वस्तुओं को खरीदने व बेचने के लिए उनके मूल्यों में कि गई कमी व्यापारिक छुट कहते है.
2. Cash Discount (नकद बट्टा) – नकद प्राप्ति व नकद भुगतान शीघ्र प्राप्त करने के लिए दी जाने वाली छुट नकद बट्टा कहलाती है.
Note – व्यापारिक छूट की कोई भी प्रविष्ठी लेखा पुस्तकों में नहीं कि जाती है.
Insolvent (दिवालिया) – ऐसा व्यक्ति जिसने ऋण लिया हो और वो उसे चुकाने में असमर्थ हो दिवालिया कहलाता है. ऐसे व्यक्ति का दायित्व उसकी सम्पतियो के मूल्य से अधिक होता है. जिसके परिणाम स्वरूप वह अपना ऋण आंशिक रूप से रह जाता है और न्यायालय द्वारा उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
Depreciation (मूल्यहास) – सम्पतियों को उपयोग में लेने के कारण या समय के प्रचलन के कारण उनके मूल्य में आयी गिरावट या कमी को मूल्यहास कहते हैं.
Formula (सूत्र) = Property Value ( सम्पति का मूल्य) / Estimated life of the asset (सम्पति का अनुमानित जीवनकाल) X Days used(उपयोग में लिए गए दिन)
Tax (कर) – सरकार द्वारा जनता से ली जाने वाली धनराशि कर कहलाती हैं.
1. Direct Tax (प्रत्यक्ष कर) – Income Tax (TDS – Tax Deducted At Source , TCS – Tax Collected at Source)
2. Indirect Tax (अप्रत्यक्ष कर) – GST (Goods And Service Tax)
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