Computer Memory in Hindi | मेमोरी क्या होती है उसके प्रकार- CPU को तीन भागों में बांटा जाता है. अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट , कण्ट्रोल यूनिट और मेमोरी यूनिट. इसी Memory Unit को ही कम्प्यूटर की मेमोरी कहा जाता है. जो एक प्रकार का Storage Device होता है. जो प्राप्त डाटा और निर्देशों का एकत्रित करता है. कम्प्यूटर पर किये गए किसी भी कार्य के लिए दिए गए निर्देशों को पहले मेमोरी में रखा जाता है. जिसके बाद Memory प्राप्त Instructions को Process करती है. Processing करने के बाद परिणाम को Save किया जाता है. इसी डाटा को Save करने के लिए Computer अलग अलग Memory का उपयोग करती है.
What is Computer Memory in Hindi (कम्प्यूटर मेमोरी क्या है)

Computer में विभिन्न प्रोग्रामों से प्राप्त डाटा , निर्देशों और परिणामों को संग्रहित करने के लिए मेमोरी का उपयोग किया जाता है. अर्थात कम्प्यूटर की डाटा स्टोर करने की क्षमता मेमोरी कहलाती है. कम्प्यूटर की मैमोरी छोटे छोटे भागो में बांटी जाती है. उन्ही भाग को Cell कहा जाता है. इन Cells की अलग अलग पहचान होती है. जिसे Path या Cell Address कहा जाता है.
कम्प्यूटर मेमोरी की इकाईयां (Computer Memory Unit In Hindi)
Computer Memory का डाटा 0 और 1 के रूप में Store किया जाता है. इन दोनों संख्याओं को Binary Codes या Bits कहा जाता है. प्रत्येक एक अंक एक बिट के बराबर होता है. कम्प्यूटर की मैमोरी की सबसे छोटी इकाई बिट होती है.
बिट इकाई को English के Small Letter b से प्रदर्शित किया जाता है. जबकि Byte को English के Capital Letter B से प्रदर्शित किया जाता है.
Note – कम्प्यूटर का डाटा स्टोर बाइट (Byte) में किया जाता है.
Bit (बिट) | 0 , 1 |
1 Nibble (निब्बल) | 4 Bit (बिट) |
1 Byte (बाइट) | 8 Bit 2 Nibble (निब्बल) |
1 Kilobyte (किलोबाइट) | 1024 Byte (बाइट) |
1 Megabyte (मेगाबाइट) | 1024 Kilobyte (KB) |
1 Gigabyte (गीगाबाइट) | 1024 Megabyte (MB) |
1 Terabyte (तेराबाइट) | 1024 Gigabyte (GB) |
1 Petabyte (पेटाबाइट) | 1024 Terabyte (TB) |
1 Exabyte (एक्साबाइट) | 1024 Petabyte (PB) |
1 Zetabyte (ज़ेटाबाइट) | 1024 Exabyte (EB) |
1 Yottabyte (योटाबाइट) | 1024 Zetabyte (ZB) |
1 Brottobyte (ब्रोटाबाइट) | 1024 Yottobyte (YB) |
1 Geop (गेऑप) | 1024 Brottobyte (BB) |
Types Of Computer Memory in Hindi (कम्प्यूटर मेमोरी के प्रकार)

Primary Memory in Hindi (प्राथमिक मैमोरी)
प्राइमरी मेमोरी वो होती है. जो सीधे प्रोसेसेर से जुडी रहती है. इसे मुख्य मेमोरी या इंटरनल मेमोरी (Internal Memory) भी कहते है. कम्प्यूटर में किया गया कार्य सर्वप्रथम प्राइमरी मेमोरी में Store होता है. इसमें डाटा तब तक रहता है. जब तक कम्प्यूटर On रहता है. अर्थात कम्प्यूटर बंद करते ही Data स्वत ही Delete हो जाता है. यह भी दो प्रकार की होती है RAM और ROM.
Random Access Memory in Hindi
RAM का Full Form Random Access Memory होता है. जो Semi Conductor से बना हुआ कम्प्यूटर मेमोरी का एक हिस्सा होता है. यह एक अस्थाई (Volatile) मेमोरी होती है. जो विद्युत जाते ही साफ (Clear) हो जाती है. इसकी गति (Speed) को MHZ (Megahertz) में मापा जाता है. यह भी दो प्रकार की होती है. एक SRAM और दूसरी DRAM.
SRAM – SRAM का Full Form Static Random Access Memory होता है. जिसमे 6 Transistor से बने Circuit का उपयोग किया जाता है. जो डाटा की बनाये रखने में सक्षम होती है. इसका प्रयोग Cache Memory के निर्माण में किया जाता है. जो प्रतिसेकंड रिफ्रेश नहीं होती है. Cache Memory – यह Data को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए Accumulator का उपयोग करती है.
DRAM – इसका Full Form Dynamic Random Access Memory होता है. जो प्रतिसेकंड रिफ्रेश होती है. इसे फेरोएलेक्पीस (Feroelecpic) भी कहते है. यह मुख्यत तीन प्रकार की होती है. Synchronous , Direct Rambus , Video RAM.
Type Of Dynamic Random Access Memory in Hindi
- Synchronous – ये रैम सीपीयू के Clock Signal को Synchronous करती है. ये भी तीन प्रकार की होती है. DDR – इसका Full Form Double Data Rate होता है. यह Clock के Signal के दोनों किनारो का संचालन करती है. SIMM – SIMM का Full Form Single in Memory Module होता है. यह धातु के बने Connector होते है. जहाँ रैम चिप को रखा जाता है. ये 30 Pins से 72 Pins की होती है यह 32 Bits को Support करती है. और DIMM – इसका Full Form Double in Line Memory Module होता है. यह भी दो Pins के आते है. एक 168 Pins और दूसरी 184 से 240 Pins यह 64 Bits को Support करती है.
- Direct Rambus – यह अलग अलग Speed उपकरणो का उपयोग करती है. जो एक बार में 8 Bits से 16 Bits के संचालन को संभाल सकती है. इसकी डाटा Transfer करने की गति 1.6 GHz होती है. ये RDRAM का ही Upper Version है.
- Video RAM – यह एक रिजर्व रैम होती है. जिसे Virtual RAM भी कहा जाता है.
Read Only Memory in Hindi
ROM का Full Form Read Only Memory होता है. जिसमें लिखी गयी सूचनाओं को सिर्फ पढ़ा जा सकता है. अर्थात इसमें लिखी गयी सूचनाओं को बदला नहीं जा सकता है. यह एक स्थाई (Non-Volatile) मेमोरी होती है. ROM में Store किये गए Program को BIOS कहा जाता है. जो कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के निर्देश (BIOS – Basic Input Output System) को संग्रहित करती है. इसे फर्मवेयर (Firmware) भी कहते है. क्योंकि यह Hardware व Software दोनों का Combination होती है.
Types Of Read Only Memory in Hindi
PROM – इसका पूरा नाम Programmable Read Only Memory होता है. जो शुरुआत में खाली होती है. जिसमे विशेष उपकरणों के माध्यम से कम्प्यूटर में प्रोग्राम Insert किया जाता है. जिसे बाद में कभी भी बदला और हटाया नहीं जा सकता है.
EPROM – इसका Full Form Erasable Programmable Read Only Memory होता है. इसमें Insert किये गए Programs को Ultra Violet light से हटाया जा सकता है. और उसके बाद फिर से नया डाटा डाल सकते है.
EPPROM – इसका Full Form Electronically Erasable Programmable Read Only Memory होता है. जिसमे लिखे डाटा को Electricity से Line By Line बदला जा सकता है.
Secondary Memory in Hindi (द्वितीयक मैमोरी)
द्वितीयक मैमोरी एक प्रकार से स्थाई मेमोरी होती है. जो विद्युत प्रवाह बंद होने के बाद भी Data को Save रखती है. यह अप्रत्यक्ष रूप से प्रोसेसेर से जुडी रहती है. इसे एक्सटर्नल मेमोरी (External memory) या सहायक मेमोरी (Auxiliary Memory) भी कहते है. जैसे – HDD , Floppy Disk , RAID , CD , DVD , B-R , Pendrive , SD , Zip Disk.
Types Of Secondary Memory in Hindi
Magnetic Tap
चुंबकिय टेप में सारा डाटा चुंबकिय माध्यम से Store किया जाता है. जो बड़े कम्प्यूटर सिस्टम में उपयोग में लिए जाते है. चुंबकिय टेप में कई रिले होती है.
Magnetic Disk
SSD (Solid State Drive) – यह एक Storage Device है. जो Hard Disk Drive के जैसी होती है. इसमें Flash Based Memory का उपयोग किया जाता है. इसकी Transferring की Speed HDD से ज्यादा होती है. इसमें सारा डाटा Semiconductor द्वारा रखा जाता है. SSD के मुख्य प्रकार निम्न है. SATA SSD Disk , MTS SSD Disk , M.2 SSD Disk और SSHD SSD Disk आदि.
HDD (Hard Disk Drive) – इसे मेग्नेटिक डिस्क भी कहा जाता है. 13 सितम्बर 1956 में Hard-Disk का आविष्कार रे जॉनसन (Rey Johnson) ने किया. इसकी गति को RPM (Revolution / Round Per Minute) में मापा जाता है. Platter इसमें धातु या कांच से बने गोल घेरे होते है. जहाँ डाटा होता है जिसे प्लाटर (Platter) कहते है. Track – प्लाटर के वृतो की संख्या को ट्रैक कहते है. इसके भागो को सेक्टर (Sector) कहा जाता है. तथा सेक्टरों के समूह को क्लस्टर (Cluster) कहते है. Cylinder – ट्रैकों के सेट को Cylinder कहते है. Read & Write – प्लाटर में होता है. जो पढ़ने में उपयोग ली जाती है. Actuation Arm (प्रवर्तक भुजा) – यह प्लाटर के किनारे से प्लाटर के केन्द्र तक चलता है. ये दो प्रकार की होती है. एक Internal Hard Disk और दूसरी External Hard Disk.
- Internal Hard Disk – यह सीपीयू के आंतरिक भाग में लगायी जाती है. जिसमे सभी Software और Operating System Install किये जाते है.
- External Hard Disk – यह Pendrive के जैसे उपयोग में ली जा सकती है. ये सीपीयू से बाहर USB Cable के माध्यम से जोड़ी जाती है.
Note – कम्प्यूटर व हार्डडिस्क SATA (Serial Advance Technology Attachment) , PATA (Parallel Advance Technology Attachment) , SCSI (Small Computer System Interface) से जुड़े होते है.
Floppy Disk
Floppy Disk का आविष्कार 1969 में हुआ था. वो वर्तमान में प्रचलन से बाहर हो गयी जो एक पतली और लचीले प्लास्टिक धातु मेलर की बानी होती थी. जिसे Diskette भी कहा जाता है. जिसके मुख्य भाग Track , Track per Inch , Sector ,Cluster और File Allocation Table आदि होते है.
Size | 3.5″ | 5.25″ | 8″ |
Capacity | 1.44 MB | 1.2 MB | 768 MB |
Optical Disk
ऑप्टिकल डिस्क एक समतल वृताकार डिस्क होती है. जो Poly Carbonate से बनी होती है. जिसके ऊपर एलुमिनियम का आवरण लगा होता है. जिसमे डाटा को Hole और Pits के माध्यम से Store किया जाता है.
C.D. (Compact Disc) – कॉम्पैक्ट डिस्क का उपयोग डिजिटल डाटा को Store करने के लिए उपयोग में लिया जाता है. इसका मानक व्यास 120 MM होता है. इसकी क्षमता 650 से 700 MB तक की होती है. जेम्स रुसेल (James Russell) ने Compact Disk का Invention किया. जिसके प्रकार CD-R (Compact Disk Recordable) , CD-RW (Compact Disk Re-Writable) होते है.
DVD (Digital Versatile Disc) – इसके अंदर High Density पदार्थ का उपयोग किया जाता है. जिसमे डाटा Store करने के लिए Laser Beam की Wave Length 600 MM होती है. इसकी डाटा संचित करने की क्षमता 4.7 GB तक की होती है.
BRD (Blu Ray Disc) – इसमें डाटा को Read और Write करने के लिए Blue Violet Laser Beam का उपयोग किया जाता है. जिसकी Wave Length 408 MM होती है. इसकी डाटा संचित करने की क्षमता 25 से 50 GB तक की होती है.
HVD (Holographic Versatile Disc) – इसमें डाटा को Read और Write करने के लिए Red & Green Laser Beam का उपयोग किया जाता है. इसकी Data Store करने की क्षमता 6 TB तक की होती है.
Flash Drive
फ़्लैश ड्राइव एक छोटा सा अल्ट्रा पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस होता है. जिसे USB , Data Stick , Pendrive , Memory Unit , Thumb Drive और SD (Secure Digital) आदि नामो से भी जाना जाता है. जिसकी Data Store करने की क्षमता 2 GB से 1 TB तक हो सकती है. पहला बार USB Flash Drive को अप्रैल 1999 में San Disk ने विकसित किया.
कम्प्यूटर मेमोरी क्या है FAQ
कम्प्यूटर सीपीयू को तीन भागों में बांटा जाता है. अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट , कण्ट्रोल यूनिट और मेमोरी यूनिट. इसी Memory Unit को ही कम्प्यूटर की मेमोरी कहा जाता है.
Computer में विभिन्न प्रोग्रामों से प्राप्त डाटा , निर्देशों और परिणामों को संग्रहित करने के लिए मेमोरी का उपयोग किया जाता है. अर्थात कम्प्यूटर की डाटा स्टोर करने की क्षमता मेमोरी कहलाती है. Computer Memory छोटे छोटे भागो में बांटी जाती है. उन्ही भाग को Cell कहा जाता है. इन Cells की अलग अलग पहचान होती है. जिसे Path या Cell Address कहा जाता है.
Computer Memory का डाटा 0 और 1 के रूप में Store किया जाता है. इन दोनों संख्याओं को Binary Codes या Bits कहा जाता है. प्रत्येक एक अंक एक बिट के बराबर होता है. कम्प्यूटर की मैमोरी की सबसे छोटी इकाई बिट होती है. कम्प्यूटर का डाटा स्टोर बाइट (Byte) में किया जाता है.
बिट , निब्बल , बाइट , किलोबाइट , मेगाबाइट , गीगाबाइट , तेराबाइट , पेटाबाइट , एक्साबाइट , ज़ेटाबाइट , योटाबाइट , ब्रोटाबाइट , गेऑप आदि
प्राथमिक मैमोरी – रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) , स्थैतिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (SRAM) , डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM) , रीड ओनली मेमोरी (ROM) , प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (PROM) , एरेसबले प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM) , इलेक्ट्रॉनिक एरेसबले प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EPPROM) , द्वितीयक मैमोरी – चुंबकिय टेप , चुम्बकीय डिस्क , सॉलिड स्टेट ड्राइव , हार्ड डिस्क ड्राइव , फ्लॉपी डिस्क , ऑप्टिकल डिस्क आदि
Memory in Hindi FAQ
RAM का Full Form Random Access Memory होता है. जो Semi Conductor से बना हुआ कम्प्यूटर मेमोरी का एक हिस्सा होता है. यह एक अस्थाई (Volatile) मेमोरी होती है. जो विद्युत जाते ही साफ (Clear) हो जाती है. इसकी गति (Speed) को MHZ (Megahertz) में मापा जाता है. यह भी दो प्रकार की होती है. एक SRAM और दूसरी DRAM.
ROM का Full Form Read Only Memory होता है. जिसमें लिखी गयी सूचनाओं को सिर्फ पढ़ा जा सकता है. अर्थात इसमें लिखी गयी सूचनाओं को बदला नहीं जा सकता है. यह एक स्थाई (Non-Volatile) मेमोरी होती है. ROM में Store किये गए Program को BIOS कहा जाता है. जो कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के निर्देश (BIOS – Basic Input Output System) को संग्रहित करती है. इसे फर्मवेयर (Firmware) भी कहते है. क्योंकि यह Hardware व Software दोनों का Combination होती है.
HDD (Hard Disk Drive) – इसे मेग्नेटिक डिस्क भी कहा जाता है. 13 सितम्बर 1956 में Hard-Disk का आविष्कार रे जॉनसन (Rey Johnson) ने किया. इसकी गति को RPM (Revolution / Round Per Minute) में मापा जाता है. Platter इसमें धातु या कांच से बने गोल घेरे होते है. जहाँ डाटा होता है जिसे प्लाटर (Platter) कहते है. Track – प्लाटर के वृतो की संख्या को ट्रैक कहते है. इसके भागो को सेक्टर (Sector) कहा जाता है. तथा सेक्टरों के समूह को क्लस्टर (Cluster) कहते है. Cylinder – ट्रैकों के सेट को Cylinder कहते है. Read & Write – प्लाटर में होता है. जो पढ़ने में उपयोग ली जाती है. Actuation Arm (प्रवर्तक भुजा) – यह प्लाटर के किनारे से प्लाटर के केन्द्र तक चलता है. ये दो प्रकार की होती है. Internal Hard Disk और External Hard Disk.
ऑप्टिकल डिस्क एक समतल वृताकार डिस्क होती है. जो Poly Carbonate से बनी होती है. जिसके ऊपर एलुमिनियम का आवरण लगा होता है. जिसमे डाटा को Hole और Pits के माध्यम से Store किया जाता है. C.D. (Compact Disc) , DVD (Digital Versatile Disc) , BRD (Blu Ray Disc) , HVD (Holographic Versatile Disc) आदि