भारत में वर्तमान में दो प्रकार के Tax वसूले जाते है एक Direct Tax और दूसरा Indirect Tax. Direct Tax वह Tax होता है जो सरकार द्वारा नागरिको से सीधे ही वसूला जाता है . जबकि Indirect Tax सरकार द्वारा नागरिकों से सीधे वसूला नहीं जाता है. अर्थात जो किसी वस्तु और सेवा का उपयोग करने पर लगाया जाता है. VAT एक प्रकार का Indirect Tax होता है. जो किसी भी देश की GDP के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. VAT का भुगतान उत्पादन के समय ही कर दिया जाता है. GST Tax के लागु होने से पहले वस्तुओं और सेवाओं पर VAT Tax ही लगता था. VAT Tax की सम्पूर्ण Detail जैसे Full Form of VAT , VAT Kya Hai आदि नीचे दी गयी है.
वैट क्या है
भारत में वैट (VAT) 1 April 2005 को लागु किया गया था. भारत के सम्पूर्ण 28 राज्यों में से 8 राज्यों ने वैट को नहीं अपनाया. जबकि हरियाणा एक ऐसा राज्य था. जिसने 1 April 2004 को VAT लागु कर दिया था. VAT की Rate राज्य अपने अनुसार तय कर सकते है.
जब भी कोई व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति करता है और उसका TurnOver सालाना 5 लाख रूपये का होता है. तो उसे VAT भरने के लिये Registration करना जरुरी होता है.

VAT की गणना दो प्रकार से की जाती है क्रेडिट चालान और खाता आधारित विधि
क्रेडिट चालान – यह कर बिक्री के लेनदेन पर लगाया जाता है इसमें ग्राहक को वैट के बारे में सूचित किया जाता है साथ ही इनपुट सामग्री और सेवाओं के भुगतान पर वैट क्रेडिट प्राप्त होता है यही विधि सभी देशो में लागु की गयी है
खाता आधारित विधि – यह कर विधि सिर्फ जापान में अपनायी गयी है इसे Flat Rate Tax के रूप में उपयोग किया जाता है इसमें निश्चित समयावधि के अंत में Report प्रस्तुत करना होता है साथ ही बिक्री के मूल्य पर गणना होती है
Full Form Of VAT
VAT का Full Form Value Added Tax होता है. वैट का हिंदी में पूरा नाम मूल्य वर्धित कर होता है. यह एक उत्पाद कर होता है. जो किसी उत्पाद के मूल्य में ही जोड़ दिया जाता है.
किसी वस्तु के उत्पादन , वितरण और बिक्री की प्रकिया के प्रत्येक चरण में वैट लगाया जाता है जिसमे प्रत्येक चरण में कर की गणना और एकत्रित किया जाता है जिसमे कर का भुगतान अंतिम उपभोक्ता द्वारा वसूला जाता है
VAT Tax में 5% , 12% , 18% , 28% दरें निर्धारित है
VAT Tax की विशेषताएँ
- Value Added Tax वस्तु के उत्पादन के प्रत्येक पड़ाव पर लगाया जाता है जिससे Tax की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी रहती है
- Value Added Tax में क्रेडिट चालान विधि से कर की चोरी की सम्भावना कम रहती है
- मूल्य वर्धित कर वस्तु और सेवा की बिक्री के सबसे छोटे स्तर पर भी पारदर्शिता रखता है
- Value Added Tax में वस्तुओ पर एक समान Tax लगाया जाता है
- वस्तु और सेवा के उत्पादन के लिए खरीदे गए कच्चे माल पर दिए गए कर और तैयार माल पर लगे कर के बीच का अंतर ही Value Added Tax होता है
VAT Full Form FAQ
VAT एक Indirect Tax होता है. यह एक उत्पाद कर होता है. जो किसी उत्पाद के मूल्य में ही जोड़ दिया जाता है. जो किसी भी देश की GDP के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. VAT का भुगतान उत्पादन के समय ही कर दिया जाता है.
भारत में VAT 1 April 2005 को लागु किया गया था. भारत के सम्पूर्ण 28 राज्यों में से 8 राज्यों ने वैट को नहीं अपनाया. जबकि हरियाणा एक ऐसा राज्य था. जिसने 1 April 2004 को VAT लागु कर दिया था. VAT की Rate राज्य अपने अनुसार तय कर सकते है.
जब भी कोई व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा की आपूर्ति करता है और उसका TurnOver सालाना 5 लाख रूपये का होता है. तो उसे VAT भरने के लिये Registration करना जरुरी होता है.
वैट की गणना दो प्रकार से की जाती है क्रेडिट चालान – यह कर बिक्री के लेनदेन पर लगाया जाता है इसमें ग्राहक को वैट के बारे में सूचित किया जाता है. साथ ही इनपुट सामग्री और सेवाओं के भुगतान पर वैट क्रेडिट प्राप्त होता है यही विधि सभी देशो में लागु की गयी है. खाता आधारित विधि – यह कर विधि सिर्फ जापान में अपनायी गयी है. इसे Flat Rate Tax के रूप में उपयोग किया जाता है. इसमें निश्चित समयावधि के अंत में Report प्रस्तुत करना होता है. साथ ही बिक्री के मूल्य पर गणना होती है.
VAT का Full Form Value Added Tax होता है. वैट का हिंदी में पूरा नाम मूल्य वर्धित कर होता है.
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